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Thursday, 21 July 2016

डिबाई में श्रीमद्भागवत कथा 


Saturday, 16 July 2016

स्फटिक श्री यंत्र
श्री शिवलिंग

गुरुपूर्णिमा 

गुरु ब्रह्मागुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वर ! गुरु साक्षात् परमं ब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: !!   
                    
अर्थात--  गुरु ही ब्रह्मा हैगुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शंकर है। गुरु ही साक्षात परब्रह्म है । ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूं ।

  • आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। 


  • इसी दिन व्यास जी का जन्मदिन होने से इस दिन को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।  


  •  इस दिन गुरु पूजा का विधान है।यह पर्व पूर्ण श्रद्धा विश्वास भक्ति से मनाना चाहिए


  • गुरु को ऊंचे सुसज्जित आसन पर बैठाकर रोली चावल पुष्प माला आदि से गुरु की पूजा करके उन्हें यथा योग्य वस्त्रफल,  दक्षिणा आदि अर्पित करना चाहिए।


  • यदि गुरु की प्रत्यक्ष संगति ना हो तो उनके चित्र पादुका आदि प्रतीक चिन्ह की पूजा करनी चाहिए।  


  • गुरु के  चरणों में दण्डवत लेटकर बाएं हाथ से सीधा और सीधे हाथ से बायां पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।