श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को रक्षा बन्धन का त्यौहार मनाया जाता है।
''सा अपरान्ह व्यापिनी ग्राह्या'' के अनुसार दोपहर के बाद का समय रक्षा बन्धन के लिये श्रेष्ठ माना जाता है यदि अपराह्न का समय भद्रा आदि की वजह से दूषित है तो प्रदोष काल में भी रक्षा बन्धन किया जा सकता है।
भद्रा का समय रक्षा बन्धन के लिये निषिद्ध माना जाता है। हिन्दु मान्यताओं के अनुसार सभी शुभ कार्यों के लिए भद्रा का त्याग किया जाना चाहिये। विशेष रूप से >''भद्रायाम द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा'' के अनुसार सभी हिन्दु ग्रन्थ और पुराण, विशेषतः व्रतराज, भद्रा समाप्त होने के पश्चात रक्षा बन्धन करने की सलाह देते हैं।
भारत में ज्यादातर परिवारों में सुबह के समय रक्षा बन्धन किया जाता है जो कि भद्रा के कारण अशुभ समय भी हो सकता है। इसीलिये जब प्रातःकाल भद्रा व्याप्त हो तब भद्रा समाप्त होने तक रक्षा बन्धन नहीं किया जाना चाहिये।
कुछ विद्वानों के अनुसार प्रातःकाल में, भद्रा मुख को त्याग कर, भद्रा पूँछ के दौरान रक्षा
बन्धन किया जा सकता है। ,, किन्तु ऐसा अति मजबूरी में ही करना चाहिए !!
<< पूर्णिमा और भद्रा की गणितीय स्थिति >>
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ = 17/अगस्त/2016 बुधवार को शाम 04-27 बजे प्रारम्भ
पूर्णिमा तिथि समाप्त = 18/अगस्त/2016 गुरुवार को दोपहर 02-56 बजे समाप्त
<< भद्रा की स्थिति >>
भद्रा प्रारम्भ > 17/अगस्त/2016 को शाम 04-27 बजे से प्रारम्भ
भद्रा समाप्त >18/अगस्त/2016 को प्रातः 03- 41 तक
अर्थात 18/अगस्त/2016 को प्रातः सूर्योदय से पूर्णिमा के समाप्ति काल दोपहर 02-56 बजे तक भद्रा
नही है किन्तु ,, रक्षा बंधन दोपहर के बाद ही किया जाना चाहिए इस दृष्टि से >>>>>>
धन का समय दोपहर के बाद होता है अतः >>>>
दोपहर 01-38 से 02-56 तक [ दिल्ली के अनुसार ]
>>>> अगर आप अपने नगर के अनुसार रक्षा बंधन का समय
जानना चाहते हैं तो कृपया बेवसाइट को फॉलो करें !!
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