जिस कन्याके विवाह कार्यमें बार-बार विघ्न-बाधाएं पड़ रही हों, उसको किन्ही श्रेष्ठ आचार्य के द्वारा विधिवत संकल्प आदि कराके किसी शुभ मुहूर्तमें निम्रलिखित मंत्रका पाठ आरंभ करके न्यूनतम दस हजारकी संख्यामे जप करना चाहिए। इससे देवी की कृपा से अवश्य कामना सिद्धि होती है-
ह्रीम् हे गौरि शंकर अर्धांगि यथा त्वम् शंकर प्रिया।
तथा माम् कुरू कल्याणि कान्तकान्ताम् सुदुर्लभाम्।।
(हे गौरि, शंकर की अद्र्धांगिनी! जिस प्रकार तुम शंकर की प्रिया हो, उसी प्रकार हे कल्याणी! मुझ कन्या को दुर्लभ वर प्रदान करो।)
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