हिंदुओ को भ्रमित कर रहे ऐसे श्लोक ...
200 वर्षों से अंग्रेजों की जीत का जश्न मना रहे धूर्त दलितों की भाँति, अंग्रेजियत / मुगलिया बुद्धि से पूर्ण किसी छद्म धूर्त विद्वान द्वारा रचित पूर्ण अप्रामाणिक, कपोल कल्पित, भारतीय संस्कृति को छिन्न-भिन्न करने में सहायक नीचे दिए गए श्लोक को वो ही लोग / विद्वान सार्थक कह रहे हैं .... जो गौघृत का दीप उपस्थित होने पर भी पशुओं की चर्वी युक्त मोमबत्ती को जलाकर कहते होंगे .... " दीपो ज्योति परब्रह्म। दीपो ज्योति जनार्दन"।।
>> इस श्लोक को सार्थक कहने वाले महानुभाव ये तक नहीं बता पा रहे कि ये श्लोक किस ने रचा ?
>> इस श्लोक को रचने की आवश्यकता क्यों पड़ी ?
>> इस श्लोक का अशुभ दर्शन हम [ सनातन हिन्दू धर्म राष्ट्र संस्कृति के प्रति लोगो का समर्पण वृद्धि के कुछ समय बाद से ही ] विगत 02/03 वर्षों से ही कर रहे हैं..
>> क्या इतना पर्याप्त नहीं इस श्लोक और इसके धूर्त रचयिता के मंतव्य को स्पष्ट करने के लिए। ........
>>> खुद को धरती पुत्र और पूरे विश्व को परिवार मानकर रहने की बात करने वाला ये धूर्त श्लोक रचयिता और इस श्लोक को सार्थक कहने वाले उदार चरित महामना बताएँगे >>> कश्मीर [ की धरती ] को अपनी मां, अपना परिवार कहने वाले हिन्दू कश्मीर की धरती से क्यों भगाये गए। ...
शायद उस समय उन कश्मीरी हिन्दुओं के पास ये श्लोक और इस श्लोक की सार्थकता सिद्ध करने वाले नहीं होंगे, अन्यथा हैप्पी न्यू ईयर और ईद मुबारक कहते रहने के बाद भी कश्मीरी हिन्दुओं को भागना और मरना नहीं पड़ता ||
200 वर्षों से अंग्रेजों की जीत का जश्न मना रहे धूर्त दलितों की भाँति, अंग्रेजियत / मुगलिया बुद्धि से पूर्ण किसी छद्म धूर्त विद्वान द्वारा रचित पूर्ण अप्रामाणिक, कपोल कल्पित, भारतीय संस्कृति को छिन्न-भिन्न करने में सहायक नीचे दिए गए श्लोक को वो ही लोग / विद्वान सार्थक कह रहे हैं .... जो गौघृत का दीप उपस्थित होने पर भी पशुओं की चर्वी युक्त मोमबत्ती को जलाकर कहते होंगे .... " दीपो ज्योति परब्रह्म। दीपो ज्योति जनार्दन"।।
>> इस श्लोक को सार्थक कहने वाले महानुभाव ये तक नहीं बता पा रहे कि ये श्लोक किस ने रचा ?
>> इस श्लोक को रचने की आवश्यकता क्यों पड़ी ?
>> इस श्लोक का अशुभ दर्शन हम [ सनातन हिन्दू धर्म राष्ट्र संस्कृति के प्रति लोगो का समर्पण वृद्धि के कुछ समय बाद से ही ] विगत 02/03 वर्षों से ही कर रहे हैं..
>> क्या इतना पर्याप्त नहीं इस श्लोक और इसके धूर्त रचयिता के मंतव्य को स्पष्ट करने के लिए। ........
>>> खुद को धरती पुत्र और पूरे विश्व को परिवार मानकर रहने की बात करने वाला ये धूर्त श्लोक रचयिता और इस श्लोक को सार्थक कहने वाले उदार चरित महामना बताएँगे >>> कश्मीर [ की धरती ] को अपनी मां, अपना परिवार कहने वाले हिन्दू कश्मीर की धरती से क्यों भगाये गए। ...
शायद उस समय उन कश्मीरी हिन्दुओं के पास ये श्लोक और इस श्लोक की सार्थकता सिद्ध करने वाले नहीं होंगे, अन्यथा हैप्पी न्यू ईयर और ईद मुबारक कहते रहने के बाद भी कश्मीरी हिन्दुओं को भागना और मरना नहीं पड़ता ||
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