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Saturday, 26 March 2016

देवताओं को भी दुर्लभ है श्रीमद्भागवत  ........ 
पद्मपुराण में श्री मद्भागवत का माहात्म्य बताते हुए कहा गया है कि ---- श्रीशुकदेवजी जब राजा परीक्षित को कथा सुनाने लगे तब देवता लो उनके पास अमृत का कलश लेकर आये और श्री शुकदेव जी को नमस्कार करके बोले -- आप हमसे ये अमृत ले लीजिए , अज परीक्षित को पिला दीजिये और --
"प्रपास्यामो वयं सर्वे  श्रीमद्भागवतामृतम् "  बदले में यह श्रीमद्भागवत कथा रुपी  अमृत  हमको पिला दीजिये !!
 शुकदेव जी ने विचार किया  -----  क्व सुधा क्व कथा लोके क्व कांच: क्व मणिर्महान !!  कहाँ सुधा [ अमृत ] और कहाँ कथा ? कहाँ काँच और कहाँ मणि ? मणि का मुकाबला काँच  कर सकता है  क्या ? कथा का मुकाबला अमृत कर सकता है क्या ? 
ये विचार करके श्री शुकदेव जी ने व्यापारी बन कर आये देवताओं को भक्ति रहित , अनधिकारी जान कर कथा रुपी  अमृत प्रदान नहीं किया ! स्वर्ग का अमृत ठुकरा दिया ! 
इसीलिये कहा है ----- श्रीमद्भागवती वार्ता सुराणामपि  दुर्लभा !! 
श्रीमद्भागवत की कथा देवताओं  को  भी दुर्लभ है 

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