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Monday, 18 April 2016

हनुमान जयन्ती 
किसी भी देवता की अधिकृति या जन्म तिथि एक होती है किन्तु श्री हनुमान जी की दो मानते हैं ! यह विशेषता  है !  ०१- चैत्र शुक्ल प्रतिपदा और ०२ - कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी ! 

किसी भी देवता की अधिकृति या जन्म तिथि एक होती है किन्तु श्री हनुमान जी की दो मानते हैं ! यह विशेषता  है !  ०१- चैत्र शुक्ल प्रतिपदा और ०२ - कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी !  इस विषय के ग्रंथो में इन दोनों के उल्लेख्य अवश्य हैं , परन्तु आशयों में भिन्नता है ! पहला 'जन्मदिन' है और दूसरा 'विजयाभिनन्दन' का महोत्सव !

उत्सव सिंधु के अनुसार -- ऊर्जस्य  चासिते पक्षे स्वास्त्याम भौमै कपीश्वरः ! मेष लग्ने अंजनी गर्भात्  शिवः प्रादुर्भूत स्वयं !! 
अर्थात ---- कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी , मंगलवार  को स्वाती नक्षत्र और मेष लग्न में अंजनी के गर्भ से हनुमानजी के रूप में स्वयं शिवजी उत्पन्न हुए थे ! 

व्रतरत्नाकर में  भी यही कहा है --- 
कार्तिकस्यासिते  पक्षे भूतायाम च महानिशि ! भौमवारेंजनादेवी हनमंतमजीजनत !! 
अर्थात ---- कार्तिक  कृष्ण  चतुर्दशी , मंगलवार  को महानिशा  में अंजना देवी ने हनुमानजी को जन्म दिया था ! 

दूसरी तरफ हनमदुपासना कल्पद्रुम ग्रन्थ में  कहा गया है ---- चैत्र शुक्ल पूर्णिमा , मंगलवार  को मूँज मेखला से युक्त, कौपीन  से संयुक्त और यज्ञोपवीत से विभूषित हनुमान जी का जन्म हुआ !
 चैत्रे मासि  सिते पक्षे पौर्णमास्याम् कुजेहनि ! 
मौंजी मेखलया युक्तः कौपीन परिधारक: !! [ह० क ० ] 

वाल्मीकीय रामायण में श्री हनुमानजी के जन्म का कथानक [किष्किन्धाकाण्ड सर्ग ६६ और उत्तर काण्ड सर्ग ३५ में ] विस्तार से  है !! परन्तु वहां पर चैत्र या कार्तिक का नाम नहीं है ,  सम्भव है की    कल्प भेद से ग्रंथो  में मासादि का नाम पृथक-पृथक  लिखा गया हो !! 

 इन सब को देखने से ये तथ्य निकलता है  कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी की रात्री में हनुमान जी का जन्म हुआ था और चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को सीता की खोज ,लंका दहन , समुद्रोल्लंघन , आदि मैं हनुमानजी के विजयी होने और निरापद वापस लौटने  उपलक्ष्य में वानरों ने हर्षोन्मत्त होकर मधुवन में उत्सव मनाया था इसी को विजयाभिनन्दन उत्सव कहा गया ! अस्तु !! "अधिकस्याधिकम" फलम के अनुसार  यदि दोनों दिन  उत्सव किया जाए तो  होगा  ही   !! 


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