संसार के छः सुख
अर्थागमो नित्यमरोगिता च प्रिया च भार्या प्रियवादिनी च।
वश्यश्च पुत्रोर्थकरी च विद्या षड जीव लोकस्य सुखानि राजन।।
>> अर्थात --- इस नश्वर संसार में ये छः सुख बताए गए हैं ------
01> नित्य प्रति [ रोज ] धन की प्राप्ति होते रहना !
02 > स्वास्थ
03 > मधुर वचन बोलने वाली और
04 > अपने [अर्थात पति के ] अनुकूल आचरण करने वाली पत्नी
05 > आज्ञाकारी पुत्र और
06 > ऐसी विद्या जिससे धन की प्राप्ति हो [अर्थात -अध्ययन की हुई विद्या से धन की प्राप्ति होना] !!
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