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Thursday, 21 April 2016

संसार के छः सुख 

अर्थागमो नित्यमरोगिता च  प्रिया च भार्या प्रियवादिनी च।
वश्यश्च पुत्रोर्थकरी च विद्या षड जीव लोकस्य सुखानि राजन।।

>> अर्थात ---  इस नश्वर संसार में ये छः  सुख  बताए गए हैं ------

01> नित्य प्रति [ रोज ] धन की प्राप्ति होते रहना !
02 > स्वास्थ
03 > मधुर वचन बोलने वाली  और
04 > अपने [अर्थात पति के ] अनुकूल  आचरण करने वाली पत्नी
05 > आज्ञाकारी पुत्र और 
06 > ऐसी विद्या जिससे धन की प्राप्ति हो [अर्थात -अध्ययन की हुई  विद्या  से धन की  प्राप्ति होना] !! 

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