धन त्रयोदशी / धन तेरस > अकाल मृत्यु से बचाती है -
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही सागर मंथन से धन्वन्तरि
का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है।
इस वर्ष धन
तेरस / धन त्रयोदशी का पर्व 28 अक्तूबर, 2016 को मनाया जाएगा |
धन्वन्तरी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो
में औशधी युक्त अमृत से भरा कलश था।
धन्वन्तरि चिकित्सा के देवता माने जाते हैं इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस
का दिन बहुत ही महत्व पूर्ण होता है।
धनतेरस के दिन भगवान धन्वन्तरि की
पूजा करनी चाहिये।
धनतेरस
की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर दीप जलाने की प्रथा भी है।
इस प्रथा के पीछे एक
लोक कथा है, कथा के
अनुसार --
किसी समय में एक राजा थे जिनका नाम हेम था। दैव कृपा से उन्हें पुत्र रत्न
की प्राप्ति हुई। |
ज्योंतिषियों
ने जब बालक की कुण्डली बनाई तो पता चला कि बालक का विवाह जिस दिन होगा उसके ठीक
चार दिन के बाद वह मृत्यु को प्राप्त होगा।
राजा इस बात को जानकर बहुत दुखी हुआ और
राजकुमार को ऐसी जगह पर भेज दिया जहां किसी स्त्री की परछाई भी न पड़े।
दैवयोग से
एक दिन एक राजकुमारी उधर से गुजरी और दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गये और
उन्होंने गन्धर्व विवाह कर लिया।
विवाह के
पश्चात विधि का विधान सामने आया और विवाह के चार दिन बाद यमदूत उस राजकुमार के
प्राण लेने आ पहुंचे।
जब यमदूत राजकुमार प्राण ले जा रहे थे उस वक्त राजकुमार की नवविवाहिता पत्नी का विलाप सुनकर उनका हृदय भी द्रवित हो उठा , परंतु विधि के अनुसार
उन्हें अपना कार्य करना पड़ा।
जब यमदूत यमराज को यह सब वृत्तान्त बता रहे थे उसी वक्त उनमें से
एक यमदूतने यमदेवता से विनती की - हे यमराज क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे मनुष्य अकाल
मृत्यु से मुक्त हो जाए।
दूत के इस प्रकार अनुरोध करने से यमदेवता बोले - अकाल मृत्यु तो कर्म की गति है इससे मुक्ति का एक आसान तरीका मैं तुम्हें बताता
हूं सुनो -
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को सूर्यास्त के समय जो प्राणी मेरे नाम से पूजन करके
दक्षिण मुखी दीप भेट करता है उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।
> यही कारण है कि
लोग इस दिन घर से बाहर दक्षिण मुखी दीप जलाकर रखते हैं।
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