>>>>>> दीपावली के दूसरे दिन प्रातः काल में घर के द्वार देश [ दरवाजे के सामने आँगन ] में [ यदि प्राप्त हो एके तो ] गौ के गोबर का गोवर्धन बनाये।
>> इसको पुष्प पत्तो आदि से सुशोभित करें।
>> रोली चावल पुष्प चढ़ाकर पूजन करै , अपने आचार के अनुसार मिष्ठान , फल , धान का लावा [ खील ] समर्पित करे और प्रार्थना करें -
गोवर्धन धराधर गोकुल त्राण कारक।
विष्णु बाहु कृतोच्छराय गवां कोटि प्रदो भवेत्।।
>> इसके बाद गौओ का पूजन करें और प्रार्थना करें -
लक्ष्मीर्या लोक पालानाम धेनु रूपेण संस्थिता।
घृतम वहति यज्ञार्थे मम पापम व्यपोहति।।
>> इसी दिन अन्नकूट पर्व भी मनाया जाता है।
>> इसके लिए इसी दिन [ जितना - जैसा शक्ति सामर्थ्य हो वैसा और उतना ] अनेक [ छप्पन प्रकार ] के भोज पदार्थ [ व्यंजन ] बनाकर श्री गोवर्धन भगवान को भोग लागाकर।
>> इसके बाद आरती करे |
>> तदुपरान्त सबको प्रसाद बांटे।
>> रात्रि में गौओ के द्वारा गोवर्धन का उप मर्दन कराये।।
>> इसको पुष्प पत्तो आदि से सुशोभित करें।
>> रोली चावल पुष्प चढ़ाकर पूजन करै , अपने आचार के अनुसार मिष्ठान , फल , धान का लावा [ खील ] समर्पित करे और प्रार्थना करें -
गोवर्धन धराधर गोकुल त्राण कारक।
विष्णु बाहु कृतोच्छराय गवां कोटि प्रदो भवेत्।।
>> इसके बाद गौओ का पूजन करें और प्रार्थना करें -
लक्ष्मीर्या लोक पालानाम धेनु रूपेण संस्थिता।
घृतम वहति यज्ञार्थे मम पापम व्यपोहति।।
>> इसी दिन अन्नकूट पर्व भी मनाया जाता है।
>> इसके लिए इसी दिन [ जितना - जैसा शक्ति सामर्थ्य हो वैसा और उतना ] अनेक [ छप्पन प्रकार ] के भोज पदार्थ [ व्यंजन ] बनाकर श्री गोवर्धन भगवान को भोग लागाकर।
>> इसके बाद आरती करे |
>> तदुपरान्त सबको प्रसाद बांटे।
>> रात्रि में गौओ के द्वारा गोवर्धन का उप मर्दन कराये।।
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